समोर असूनही अबोल मनाची घालमेल....
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आणि जेंव्हा तिच्याशिवाय जगता येत नाही....
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तिनं त्याचं प्रेम समजून घ्यावं....
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विरह......
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काय मग,
कशा वाटल्या कविता...?
आपल्या सूचना, अभिप्राय कळू द्या, काय?
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